Saturday 1 March 2014

भारत की कमजोर गेंदबाजी का सच


          आजकल भारतीय क्रिकेट टीम एक नए दौर से गुजर रही है | टीम में नए खिलाड़ी ज्यादा हैं जो कुछ समय बाद ही अनुभव के साथ परिपक्व होंगे | लेकिन एक बात जो गौर करने वाली है वह है टीम में अच्छे तेज गेंदबाजों का अभाव | आखिर इसकी वजह क्या है ? एक बड़ी वजह है आई.पी.एल. | देश के कई गेंदबाज अब केवल आई.पी.एल. के लिए खेलकर इतना कमा रहे हैं कि उनके लिए अब देश महत्वपूर्ण नहीं रह गया है | वे आई.पी.एल. के समय एकदम ठीक रहते हैं पर भारत की टीम के लिए अनफिट रहते हैं, उन्हें चोट लगी होती है | एक नाम नहीं है -प्रवीण कुमार, इरफान खान, आर.पी.सिंह, मुनाफ पटेल, गोनी आदि कई ऐसे खिलाड़ी है | बल्लेबाजी में तो गनीमत है पर गेंदबाजी में भारत के पिछड़ने का यही मुख्य कारण अब नज़र आ रहा है | देश के बेहतरीन तेज गेंदबाज अब भारत के टीम में नहीं आना चाहते हैं क्योकि कम समय में खेलकर जब ज्यादा पैसा  मिल रहा हो तो कोई साल भर पसीना क्यों बहाए ?  कपिलदेव , श्रीनाथ, चेतन शर्मा, मदन लाल , रोजर बिन्नी, मनोज प्रभाकर, करसन घावरी आदि जैसे तेज गेंदबाज कहां है जो अपना पूरा दमखम देश के लिए लगा दें | एकदिवसीय मैचों में तो अंतिम ओवरों में आजकल बुरा हाल होता है | गेंदबाज पिटते रहते हैं  और  यार्कर, स्लो बाल आदि वेरिएशन के बदले गुडलेंथ बाल या फुलटास फेकते रहते हैं | कई बार तो क्षेत्ररक्षण के अनुसार ही बाल नहीं होती | बालिंग कोच क्यों रखे गए हैं, ये पूछनेवाला कोई नहीं है | आई.पी.एल. में फिक्सिंग का अलग ही गुल खिला हुआ है जिसकी वजह से श्रीसंत जैसे कई खिलाडियों ने स्वयं अपनी ज़िंदगी तबाह कर ली है | क्या कोई रास्ता बचा है जो इस खेल को देशप्रेम से जोड़ते हुए आगे ले जाएगा ? खिलाड़ी, कोच, बोर्ड अपनी जिम्मेदारी कब समझेंगे ? मेरे ख्याल से जो खिलाड़ी देश के लिए अनफिट हो और केवल आई.पी.एल. के लिए फिट होकर अवतरित होता हो उसपर रोक लगनी चाहिए तभी भारत की गेंदबाजी में सुधार हो सकता है अन्यथा केवल बचे-खुचे खिलाड़ियों के दम पर टेस्ट श्रृंखला या कोई कप जीतना बहुत मुश्किल होगा और कभी जीत भी गए तो ये संयोग मात्र ही होगा | आप का क्या विचार है ?

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