एक दर्द, एक आह, एक चुभन, एक कभी न खत्म होने वाला दुख दे गये जगजीत सिंह जी ............। टी वी पर समाचार देखा तो सहसा विश्वास ही नहीं हुआ। पारम्परिक ग़ज़ल-गायकी से हटकर ग़ज़ल को एक नया आयाम देने वाले, ग़ज़ल को एक नई ऊँचाई देने वाले, महान संगीत साधक जगजीत सिंह जी ने दुनिया से कूच करके एक ऐसी रिक्तता दे दी है जिसे भरना शायद नामुमकिन है। अब दूसरा जगजीत सिंह कहाँ मिल सकता है।
मैं अपने जीवन में दो पुरुष गायकों से बहुत प्रभावित रहा- एक तो मुकेश जी और दूसरे जगजीत सिंह जी। सच पूछिए तो मेरा संगीत में रुझान ही इनकी वजह से हुआ। आज मेरे दोनों आदर्श इस दुनिया में नहीं रहे........यकीन नहीं होता। कुछ साल पहले जब जगजीत सिंह जी बनारस आये थे तो उनको सुनने का मौका मिला था। मुझे एक घटना याद आ रही है। कुछ बच्चे उनसे बार -बार आटोग्राफ ले रहे थे और उनकी भीड़ बढ़ती ही जा रही थी। उस समय मैनें उनको बच्चों से शरारत करते हुये देखा था। उन्होंने एक बच्चे से कहा- पैसे लाये हो, तभी आटोग्राफ दूँगा। बच्चे ने कहा- नहीं, पैसे तो नहीं हैं। थोड़ी देर तक बच्चा परेशान रहा फिर उन्होंने हँसते हुये अपना आटोग्राफ दिया। सभी हंसने लगे।
जगजीत सिंह जी के इस दुनिया से जाने के साथ-साथ मेरा भी एक सपना उनके साथ ही चला गया। मैं चाहता था कि मेरी किसी ग़ज़ल को उनकी आवाज़ मिले पर ...............
मेरी ओर से उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि..............
मैं अपने जीवन में दो पुरुष गायकों से बहुत प्रभावित रहा- एक तो मुकेश जी और दूसरे जगजीत सिंह जी। सच पूछिए तो मेरा संगीत में रुझान ही इनकी वजह से हुआ। आज मेरे दोनों आदर्श इस दुनिया में नहीं रहे........यकीन नहीं होता। कुछ साल पहले जब जगजीत सिंह जी बनारस आये थे तो उनको सुनने का मौका मिला था। मुझे एक घटना याद आ रही है। कुछ बच्चे उनसे बार -बार आटोग्राफ ले रहे थे और उनकी भीड़ बढ़ती ही जा रही थी। उस समय मैनें उनको बच्चों से शरारत करते हुये देखा था। उन्होंने एक बच्चे से कहा- पैसे लाये हो, तभी आटोग्राफ दूँगा। बच्चे ने कहा- नहीं, पैसे तो नहीं हैं। थोड़ी देर तक बच्चा परेशान रहा फिर उन्होंने हँसते हुये अपना आटोग्राफ दिया। सभी हंसने लगे।
जगजीत सिंह जी के इस दुनिया से जाने के साथ-साथ मेरा भी एक सपना उनके साथ ही चला गया। मैं चाहता था कि मेरी किसी ग़ज़ल को उनकी आवाज़ मिले पर ...............
मेरी ओर से उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि..............
जगजीत सिंह जी की ग़ज़लों के हम भी दीवाने रहे । अब तो उनकी आवाज़ ही उनकी पहचान रहेगी ।
ReplyDeleteविनम्र श्रधांजलि ।
जगजीत सिंह जी की ग़ज़लों के हम भी दीवाने रहे । अब तो उनकी आवाज़ ही उनकी पहचान रहेगी ।
ReplyDeleteविनम्र श्रधांजलि ।
दीपावली केशुभअवसर पर मेरी ओर से भी , कृपया , शुभकामनायें स्वीकार करें
ReplyDeleteमेरी ओर से जगजीत सिंह जी को विनम्र श्रद्धांजलि.....
ReplyDeleteमेरी ओर से जगजीत सिंह जी को विनम्र श्रद्धांजलि.....
ReplyDeletebahut achchha likha hai aapne.....
ReplyDeleteएक फन था उनमें,
ReplyDeleteआज फकत याद है बाकि ...
उनको समर्पित मेरी रचना भी पढ़ें...
http://kumar-sagar.blogspot.in/2011/10/blog-post.html
एक फन था उनमें,
ReplyDeleteआज फकत याद है बाकि ...
उनको समर्पित मेरी रचना भी पढ़ें...
http://kumar-sagar.blogspot.in/2011/10/blog-post.html