Tuesday 27 May 2014

बधाई/उफ़ ! ये समाचार चैनल...

        सबसे पहले तो प्रधानमंत्री मोदी जी और उनके मंत्रिमंडल को बधाई | देखते ही देखते अन्ततः मोदी की सरकार बन ही गयी | विरोधी बगले झांकते रह गए और भाजपा सत्ता में दस साल बाद पुनः वापस आ गयी | सच पूछिए तो ये जरूरी भी था | सत्ता का हस्तांतरण यदि इसी तरह कम से कम दस सालों में होता रहे तो कई चीजें अपने आप संतुलित हो जायेंगी | नेता मदांध होकर कुर्सी पर नहीं बैठेगे जैसा कांग्रेस के कुछ नेताओं के आचरण में दिख रहा था | कल जब सभी अपनी शपथ ले रहे थे तो मुझे मनमोहन सिंह जी की याद आ गयी | उन्होंने और उनके मंत्रिमंडल ने भी तो यह शपथ लिया था कि "जब ऐसा करना अपेक्षित न हो मैं कोई सूचना प्रकट नहीं करूंगा" पर क्या ऐसा हुआ ? उन्हें तो संविधान की और इस शपथ की परवाह किये बिना सूचनाओं को अपने सुपर बॉसद्वय को मजबूरी में बताना ही पड़ता था और इस बात कई बार प्रमाण हम सबको मिल ही चुके हैं | प्रधानमंत्री मोदी जी ने अपने पहले ही कुछ फैसलों में अपनी अलग एक झलक दिखाई है और पूरी उम्मीद है ये आगे भी बरक़रार रहेगा | सार्क देशों के सभी राष्ट्राध्यक्षों को बुलाना और अपनी पहली ही कैबिनेट मीटिंग में काला धन पर एस.आई.टी. बनाना ऐसे फैसले हैं जिनके असर दूरगामी हो सकते हैं |
        अब बात कुछ समाचार चैनलों की कर लें | ये बात-बात पर भारत और पाकिस्तान की जनता को आमने-सामने बिठाकर ऐसे प्रश्न पूछने लगते हैं मुझे उस समय इनकी समझ पर तरस आने लगता है | अब नवाज शरीफ ने देर से  भारत आने का फैसला क्यों लिया इसको वहां की जनता कैसे बता सकती है ? ऐसे कई प्रश्न मुझे बेतुके से लगे | इस कार्यक्रमों से ऐसा लग रहा था जैसे अभी युद्ध करवा कर ही ये मानेंगे और इन्हें  अपने या किसी भी देश की जनता की भावना से खिलवाड़ करने की छूट मिली हुई है | इन चैनलों को भी कुछ जिम्मेदारी समझनी चाहिए |

Monday 24 March 2014

चुनाव का मौसम

        आजकल चुनाव का मौसम क्या खूब चल रहा है ! जिसे देखिये इसी की चर्चा है | कांग्रेस को कुछ जानकार इस बार पिटा हुआ मोहरा मान रहे हैं तो कुछ लोग अभी भी केजरीवाल राग अलाप रहे हैं | इन सबमें जो पार्टी आगे नज़र आ रही है, वो भाजपा है | मोदी इस समय अपने प्रतिद्वंदियों से काफी आगे दिख रहे हैं, मगर कुछ बातें जो पार्टी के अन्दर घट रही हैं; वो इस लोकप्रियता को सत्ता के सिंहासन तक ले जाने में रुकावट न बन जाएं | सबसे अहम् बात है पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं का टिकट न मिलने पर रूठना और बागी तेवर अपनाना | हालांकि इनमें से कई नेता टिकट के स्वाभाविक उम्मीदवार थे | जसवंत सिंह, हरेन पाठक, लालजी टंडन, लालमुनी चौबे, नवजोत सिंह सिद्धू आदि को टिकट न मिलना इस बात का प्रमाण है की भाजपा के अन्दर सब-कुछ ठीक नहीं है | भले ही सब कुछ रणनीति के अंतर्गत किया गया हो, पर कम से कम इन नेताओं को विश्वास में जरूर लेना चाहिए था | एक तरफ जहां भाजपा में दूसरे दलों से आने के लिए होड़ मची है और जो नेता आ रहे हैं उन्हें टिकट मिलना और दूसरी तरफ पार्टी के पुराने नेताओं की अवहेलना करना निसंदेह पार्टी के लिए उचित नहीं है | कहीं इसके पीछे ये तो नहीं कि जो नेता बाद में किसी बात पर अडंगा लगा सकते हैं, उन्हें पहले ही रास्ता दिखाया जा रहा है !
       अब अन्य पार्टियों की भी बात कर लें | कांग्रेस पार्टी के कई वरिष्ठ नेता जैसे जगदम्बिका पाल, सतपाल महाराज, सोनाराम आदि कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थाम चुके हैं | कई नेता चुनाव से परहेज कर रहे थे पर हाईकमान के दबाव में मैदान में उतर रहे हैं | टिकट की मारामारी यहाँ उतनी नहीं है जितनी भाजपा और आम आदमी पार्टी में है | आप आदमी पार्टी में टिकट के लिए कई जगह इनके अपने ही कार्यकर्ता नाराज़ है और वे पैसे लेकर टिकट बेचने का आरोप लगा रहे हैं | तीसरा मोर्चा इस बार भी फुसफुसा रहा है पर इसका वास्तविक अंजाम तो चुनाव बाद ही पता लगेगा |
      सबसे रोचक बात ये है कि जो नेता कल किसी अन्य दलों से दूसरे दल या पार्टी में शामिल हुए हैं, उनकी भाषा अचानक बदलना | कल तक जिसे गालियाँ देते, आरोप लगाते थकते नहीं थे और टी.वी. चैनलों पर तमाम बुराइयां गिनाते थे; आज उनकी तारीफ़ में खूब कसीदे पढ़ रहे हैं | इतनी जल्दी और एकाएक ह्रदय-परिवर्तन तो डाकू अंगुलिमाल का भी नहीं हुआ था | वाह! इस चुनावी मौसम का जनता खूब आनंद ले रही है | चलिए हम सभी मिलकर कहते हैं - लोकतंत्र की जय.....

Saturday 1 March 2014

भारत की कमजोर गेंदबाजी का सच


          आजकल भारतीय क्रिकेट टीम एक नए दौर से गुजर रही है | टीम में नए खिलाड़ी ज्यादा हैं जो कुछ समय बाद ही अनुभव के साथ परिपक्व होंगे | लेकिन एक बात जो गौर करने वाली है वह है टीम में अच्छे तेज गेंदबाजों का अभाव | आखिर इसकी वजह क्या है ? एक बड़ी वजह है आई.पी.एल. | देश के कई गेंदबाज अब केवल आई.पी.एल. के लिए खेलकर इतना कमा रहे हैं कि उनके लिए अब देश महत्वपूर्ण नहीं रह गया है | वे आई.पी.एल. के समय एकदम ठीक रहते हैं पर भारत की टीम के लिए अनफिट रहते हैं, उन्हें चोट लगी होती है | एक नाम नहीं है -प्रवीण कुमार, इरफान खान, आर.पी.सिंह, मुनाफ पटेल, गोनी आदि कई ऐसे खिलाड़ी है | बल्लेबाजी में तो गनीमत है पर गेंदबाजी में भारत के पिछड़ने का यही मुख्य कारण अब नज़र आ रहा है | देश के बेहतरीन तेज गेंदबाज अब भारत के टीम में नहीं आना चाहते हैं क्योकि कम समय में खेलकर जब ज्यादा पैसा  मिल रहा हो तो कोई साल भर पसीना क्यों बहाए ?  कपिलदेव , श्रीनाथ, चेतन शर्मा, मदन लाल , रोजर बिन्नी, मनोज प्रभाकर, करसन घावरी आदि जैसे तेज गेंदबाज कहां है जो अपना पूरा दमखम देश के लिए लगा दें | एकदिवसीय मैचों में तो अंतिम ओवरों में आजकल बुरा हाल होता है | गेंदबाज पिटते रहते हैं  और  यार्कर, स्लो बाल आदि वेरिएशन के बदले गुडलेंथ बाल या फुलटास फेकते रहते हैं | कई बार तो क्षेत्ररक्षण के अनुसार ही बाल नहीं होती | बालिंग कोच क्यों रखे गए हैं, ये पूछनेवाला कोई नहीं है | आई.पी.एल. में फिक्सिंग का अलग ही गुल खिला हुआ है जिसकी वजह से श्रीसंत जैसे कई खिलाडियों ने स्वयं अपनी ज़िंदगी तबाह कर ली है | क्या कोई रास्ता बचा है जो इस खेल को देशप्रेम से जोड़ते हुए आगे ले जाएगा ? खिलाड़ी, कोच, बोर्ड अपनी जिम्मेदारी कब समझेंगे ? मेरे ख्याल से जो खिलाड़ी देश के लिए अनफिट हो और केवल आई.पी.एल. के लिए फिट होकर अवतरित होता हो उसपर रोक लगनी चाहिए तभी भारत की गेंदबाजी में सुधार हो सकता है अन्यथा केवल बचे-खुचे खिलाड़ियों के दम पर टेस्ट श्रृंखला या कोई कप जीतना बहुत मुश्किल होगा और कभी जीत भी गए तो ये संयोग मात्र ही होगा | आप का क्या विचार है ?

Monday 10 February 2014

प्रतिदिन एक बवाल + मीडिया कवरेज = सत्ता प्राप्ति

            आजकल टीवी पर प्रतिदिन एक ही चर्चा है-आम आदमी पार्टी और उससे जुड़े रोज़ एक बवाल | यह पार्टी जितनी तेजी से ऊपर उठी उतनी तेजी से गर्त में जाने को आतुर दिख रही है क्योकि इसे बड़ी जल्दी है |  लोकसभा चुनाव जो है | इस काम में लगभग सारे मीडिया चैनलों का पूर्ण समर्थन प्राप्त है | ये जिसे चाहे, जब चाहे चोर कह सकते हैं, खुद पर सवाल पूछने पर भी बिकाऊ करार दे सकते हैं ; राजनीति की इतनी गिरी हुई हालत कभी देखने को नहीं मिला है |
आइये इनके बारे में देखते हैं-
पृष्ठभूमि :- सभी जानते है कि यह पार्टी अन्ना आन्दोलन से उभरी है और उस समय तक इसका चरित्र स्वच्छ और ईमानदार  था, पर चुनावी पार्टी बनते ही और सत्ता-प्राप्ति के बाद सबकुछ बदल गया है| अब इसका वास्तविक मकसद सेवा भावना, भ्रष्टाचार या अन्य  कुछ नहीं रह गया है |  इससे अब जुड़ने वालों का एक ही मकसद है, इससे जुड़कर विधायक या सांसद हो जाना | बाकी दलों में लोग वर्षों मेहनत करके आते हैं, तब कहीं यह सुख नसीब होता है, पर इसमें तो दिल्ली का उदाहरण दिख रहा है | अंधे के हाथ बटेर कभी भी लग सकती है|

प्रतिदिन एक बवाल + मीडिया कवरेज :- झूठ बोलना, दूसरो को चोर खुद को ईमानदार कहना इनके प्रिय शगल हैं | साथ ही प्रतिदिन एक बवाल की स्थिति पैदा करना ताकि टीवी पर हर चैनल में ये दिखे, बहस में भाग लें | जबसे दिल्ली में सरकार बनी है; कोई ऐसा दिन नहीं होगा जब ये न हुआ हो | आप ने देखा होगा टीवी पर जब इनके सदस्य बोलते हैं तो बाकी सभी चुप रहते हैं, पर कोई भी दूसरा जब बोलता है तो ये उसे हमेशा टोकते रहते हैं, हर बात को घुमाते हैं और सीधा जवाब कभी नहीं देते | इनके साथ मीडिया तो है ही क्योकि कार्यक्रम की शुरुआत में कुछ और मुद्दा होता है पर एंकर भी अंत में इन्हीं को सही और बाकी सबको गलत साबित करने की कोशिश करते हैं | आजतक, आईबीएन सेवेन, ए बी पी न्यूज या कोई भी न्यूज चैनल ( एकाध को छोड़कर) ले लीजिए सभी इनके रंग में रंगे नज़र आते हैं | दरअसल ये सभी मिलकर जनता को मूर्ख साबित करने पर तुले हुए है | इनकी वजह से अब तो न्यूज चैनल लगाने को जी नहीं करता |

अब तक का काम :- इन्होनें अब तक कुछ घोषणाएं ही की हैं जो कितनी अव्यवहारिक हैं इसका पता कुछ समय बाद ही चलेगा, इसलिए अब जल्दी से अपनी सरकार खुद गिराकर भाग जाना चाहते हैं ताकि दोष औरों को दे सकें और शहीद बनकर लोकसभा के चुनाव में उतर सकें, जनता तो मूर्ख है ही |

         ( मैं किसी पार्टी का सदस्य नहीं हूँ, न तो आम आदमी पार्टी का विरोधी हूँ || ये बताना इसलिए आवश्यक है क्योंकि किसी पार्टी से प्रेरित लेख भी ये कह सकते हैं |  मैं वास्तविक आम आदमी हूँ जिसने अपनी आँखे खोल रखी हैं |)

Tuesday 26 November 2013

अमर गायक मुकेश और मेरा संगीत

         दोस्तों ! मैं प्रारम्भ से ही मुकेश का बहुत बड़ा प्रशंसक रहा हूँ | बल्कि ये कहिये की मेरी संगीत में रूचि ही मुकेश जी की वजह से प्रारम्भ हुई | एक बार बचपन में उनका गीत रेडियो पर सुना-"जाने चले जाते हैं कहाँ" और अगले ही पल जब उद्घोषक ने ये कहा कि मुकेश जी की पुण्यतिथि पर यह गीत प्रसारित हो रहा है तो मेरे बदन में सिहरन-सी दौड़ गयी थी | तभी मैंने महसूस किया कि वह व्यक्ति जो अब ज़िंदा नहीं है, अपनी आवाज़ के रूप में कितना हमारे करीब है | सच पूछिए तो तभी से संगीत मुझे लुभाने लगा था | अपने पिताजी के डर से और माँ के सहयोग से मैंने चोरी-छिपे बनारस के बुलानाला में स्थित "गुप्ता-संगीतालय" से हारमोनियम और गिटार सीखा | फिर दो साल संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में प० जमुना प्रसाद मिश्र जी से तबला तथा प० जालपा प्रासाद मिश्र जी से गायन सीखा | एल-एल-बी० करने  के कारण गायन अधूरा रहा पर बाद में मैंने संगीत में अपना सीखना जारी रखा, हालांकि यह क्रमबद्ध नहीं हो पाया | संगीत से दूर रहना मुश्किल था, शायद इसीलिये बाद में संगीत की और दो उपाधियाँ मैंने ली |
       मुकेश जी के प्रभाव से संगीत से जुड़ा, इसलिए मैं उनके गीत खूब गाता और गुनगुनाता रहता था | उन दिनों मैं अक्सर मुंशी-घाट पर गर्मियों में नहाने जाया करता था, जहाँ देर तक मैं गंगा जी में नहाता और मुकेश के गीत गाता रहता था | उनके गीतों की और कई खूबसूरत यादें मेरे साथ जुड़ी हुई हैं जिन्हें मैं बाद में आपसे जरूर बताना चाहूँगा | 

Saturday 16 November 2013

"भारत रत्न" सचिन तेंदुलकर

       आज एक लम्बे समय तक भारत की आन, बा और शान रहे "भारत रत्न"  सचिन तेंदुलकर के लम्बे, महान और अविस्मरणीय कैरियर का सुखद पटाक्षेप हो गया | इस अवसर पर पूरे देश में लोगों की भावनाएं देखने लायक थी | अभूतपूर्व..... शायद ही किसी को ऐसी भावनात्मक विदाई मिली हो | और हो भी क्यों न ! आखिर दुनिया में सचिन एक ही तो हैं, उन्हें ऐसी विदाई मिलनी ही थी और वह इसके वास्तविक हकदार भी हैं | सोने पर सुहागा.....उन्हें भारत-रत्न मिलने की घोषणा....वाह......

       
    फिर भी एक टीस तो रहेगी........ काश ! ये उम्र ठहर जाती.......| है न !


अलविदा सचिन..... हम आप को कभी नहीं भूल पायेंगे.....| अब आप की किसी नयी पारी का बेसब्री से इंतज़ार रहेगा....

Friday 1 November 2013

राजेन्द्र यादव जी और के.पी.सक्सेना जी

    मित्रों, कुछ ही दिनों के अंतराल में हिन्दी साहित्य के दो रचनाकार काल-कवलित हो गए | समय के आगे किसी का जोर नहीं पर हम हिंदी-प्रेमी श्री राजेन्द्र यादव जी और के.पी.सक्सेना जी को हमेशा याद करेंगे | के.पी.सक्सेना के काव्यपाठ के तो हम सभी कायल थे  और राजेन्द्र जी के हिन्दी साहित्य में योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता | दोनों महापुरुषों को विनम्र श्रद्धांजलि...